बदलते समाज में संग्रहालयों की अहम भूमिका – लक्ष्यराज सिंह मेवाड़

उदयपुर। अन्तरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (आई.सी.ओ.एम.) की थीम ‘तकनीकी प्रगति और डिजिटल परिवर्तन की दुनिया में संग्रहालयों का भविष्य’ एक महत्वपूर्ण प्रश्न को प्रस्तुत करता है कि किस प्रकार बदलते समाज में संग्रहालय सार्थक योगदान दे सकते हैं?, महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर ने परम्परागत समृद्ध और जीवंत विरासत के साथ ‘अन्तरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस’ मनाया।
महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि संग्रहालय आज अतीत की बेहतरीन वस्तुओं और कला के खज़ानें है, जहाँ इस खज़ानें को संरक्षित और प्रदर्शित किया जाता है। बिना किसी संदेह के, संग्रहालयों ने एक लम्बा सफर तय किया है। संग्रहालयों ने समुदायों को समय के साथ आगे बढ़ने और बेहतर बनने के सुअवसर प्रदान किये हैं। महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की जीवंत विरासत को हम संरक्षित करने के साथ ही आने वाले वर्षों में इसे ओर भी अधिक समृद्ध बनाने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
फाउण्डेशन ने इस वर्ष का यह उत्सव दक्षिणी राजस्थान की जीवंत शिल्प विरासत ‘डिस्कवर द आर्ट ऑफ साउथर्न राजस्थान‘ को प्रदर्शित किया। जमीन से जुडे़ इन विशिष्ट कारीगरों की शानदार कला और कला-कौशल को फाउण्डेशन की ओर से मंच प्रदान किया गया जहां चित्तौड़गढ की कावड़ कला, प्रतापगढ़ की स्वर्ण कारीगरी ‘थेवा कला’, उदयपुर की प्रसिद्ध लकड़ी के खिलौनों की कला और आदिवासी क्षेत्र डूंगरपुर की मांडना कला को प्रदर्शित किया गया। संग्रहालय के बाड़ी महल और ज़नाना महल में आगंतुकों ने इन कलाओं के निर्माण को बारीकी से देखा तो दूसरी ओर बाड़ी महल में आगंतुकों ने लाइव वाद्ययंत्र प्रदर्शन में हमारी सांस्कृतिक संगीत विरासत का भी आनंद लिया। मोलेला कारीगर द्वारा लाइव पॉटरी कार्यशाला रखी गई, जहां हर कोई राजस्थान की भौतिक सांस्कृतिक कला को देख प्रत्यक्ष रूप से आकार दे सका, महसूस कर सका और समझ सका। आगंतुकों और स्कूली बच्चों ने अपने हाथों से मिट्टी की आकृतियां बना बहुत खुश हुए। आगंतुकों ने कलाकारों द्वारा किये जा रहे कार्य को देखकर खूब प्रशंसा की।
पर्यटकों के लिये इन यादगार पलों को कैद करने के लिये स्थानीय वास्तुकला से प्रेरित एक फोटो बूथ भी लगाया गया, जहां पर्यटकों ने स्वर्णिम यादें कैद कर, स्टे्टस लगाए तो कई ने परिवार संग शेयर भी किये।
ये आयोजन आगंतुकों में कला के इन अनुभवों सीखने और जीवंत विरासत की ओर आकर्षित करने की पहल हैं ताकि हमारी धरोहरों का सम्मान बना रहे। यह कारीगरों की पारंपरिक आजीविका को बनाए रखने में भी मदद, मान्यता और समर्थन प्रदान करना रहा है। सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर ने ‘तेजी से बदलते समाज में संग्रहालयों का भविष्य’ थीम के तहत सफल प्रयास किये।

Related posts:

हिन्दुस्तान जिंक को आईईआई उद्योग उत्कृष्टता पुरस्कार

पिम्स में नसों पर दबाव बना रही पसली को निकालने का सफल उपचार

अग्निवीर भर्ती रैली, देश सेवा का जज्बा लिए दौड़ें अभ्यर्थी

Double swoop for Hindustan Zinc – Chanderiya and Debari units win prestigious ‘Sword of Honour’ from...

पेसिफिक हॉस्पिटल उमरड़ा व स्कूल शिक्षा परिवार उदयपुर के मध्य करार

प्रो. नामदेव, दलित लेखक संघ के 12वें अध्यक्ष चुने गये

पारस जे. के. हॉस्पिटल में चेहरे मेे झटके आने व दर्द होने की अनोखी बीमारी का उपचार

बड़ीसादड़ी-मावली आमान परिवर्तित रेलखण्ड का लोकार्पण

कानोड़ मित्र मंडल, उदयपुर की वर्षाकालीन पिकनिक एवं वरिष्ठजन सम्मान का आयोजन

अरविन्दसिंह मेवाड़ द्वारा मातृभाषा वेबसाइट का विमोचन

नारायण सेवा ने की महालक्ष्मी रथयात्रा की महाआरती

कमल नाहटा जीतो उदयपुर चेप्टर के मुख्य सचिव बने

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *