प्लास्टिक के विकल्प कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस शुरू

सर्कुलर इकोनॉमी, सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण संरक्षण के लिये अतिआवश्यक है कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स
सिंगल यूज प्लास्टिक पर ठोस कार्र्यवाही और सभी राज्यों में कम्पोस्टेबल उत्पादों के लिये हो समान नीति
उदयपुर।
ग्लोबल वार्मिंग और प्लास्टिक के उपयोग से बढ़ते प्रदूषण से बचाव के लिये कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स का उपयोग हर व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन में अपनाना होगा। यह प्रोडक्ट्स सर्कुलर इकोनॉमी, सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण संरक्षण के लिये अतिआवश्यक है। भारत में कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स की सबसे बड़ी संस्था एसोसिएशन ऑफ कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स इन इंडिया (एसीपीआई) द्वारा उदयपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन उपस्थित सदस्यों के साथ अतिथियों एवं विषय विशेषज्ञों ने इस बारे में विस्तार से जानकारी साझा की। होटल राम्या में आयोजित इस सम्मेलन में देश-विदेश के विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। वर्तमान में भारत में 128 कंपनियों को कम्पोस्टेबल उत्पादों के निर्माण का लाइसेंस प्राप्त है, जिनमें से एसीपीआई के 60 सक्रिय सदस्य हैं।


एसीपीआई के प्रममुख सदस्य अशोक बोहरा ने बताया कि सम्मेलन में भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त कराने के अनुरूप सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड नई दिल्ली द्वारा चिन्हित 12 ऐसी सामग्री जो कि सिंगल यूज प्लास्टिक से निर्मित है जिन्हें प्रतिबंधित किया गया है, उनके नुकसान की जानकारी दी गई। इनमें प्लास्टिक के चम्मच, स्ट्रॉ, पलले केरी बैग, गारबेज बैग, डिस्पोज़ेबल सामग्री, इयरबड्स, पतले लेमिनेशन आदि शामिल हैं। इनका विकल्प कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स है जो कि बायोमटेरियल कार्न स्टार्च से निर्मित है। इन प्रोडक्ट्स की खासियत यह है कि 180 दिनों में यह पूरी तरह से कम्पोस्ड हो जाती है जिसका कोई प्रदूषण नहीं होता बल्कि यह खाद बन जाती है वहीं प्लास्टिक 300 वर्षों तक भी कम्पोस्ड नहीं होता। अशोक बोहरा ने बताया कि कम्पोस्टेबल बैग्स न केवल प्लास्टिक जितने मजबूत और कुशल हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं। कम्पोस्टेबल बैग्स अब प्लास्टिक के समान किफायती हो गए हैं, जिससे ये बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए एक व्यवहारिक विकल्प बनते जा रहे हैं। इनकी गुणवत्ता प्लास्टिक के समान मजबूती और उपयोगिता है।


एसीपीआई के प्रेसीडेन्ट मयूर जैन ने कहा कि कम्पोस्टेबल उद्योग न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद कर सकता है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर सकता है। कम्पोस्टेबल उत्पाद प्लास्टिक का आदर्श विकल्प हैं और सतत विकास की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। इनके उपयोग को बढ़ावा देकर प्लास्टिक प्रदूषण से निपटा जा सकता है और पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है।
सम्मेलन में बलरामपुर चीनी मिल्स के सीईओ, पूर्व सीईओ, टोटल कर्बियोन के स्टीफन बेरोट जो कि कम्पोस्टेबल एवं रिन्यूएबल्स के क्षेत्र में 15 वर्षो से अधिक का अनुभव रखते है, एवं स्वीस केमिकल इंजीनियर हैं उन्होंने प्रजेन्टेशन के माध्यम से कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स की उपयोगिता और इससे पर्यावरण को होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी। दूसरे प्रजेन्टेशन में सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक टेक्नोलॉजी अहमदाबाद के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी कीर्ति त्रिवेदी ने कम्पोसटेबल प्रोडक्ट्स के टेस्टिंग प्रोटोकॉल्स की जानकारी एवं वेण्डर द्वारा इस हेतु दी जाने वाली सूचना के बारे में अवगत कराया।
सम्मेलन में कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स बनाने वाले उद्यमियों के समक्ष आ रही विभिन्न चुनौतियों जैसे सभी राज्यों द्वारा इस हेतु अलग अलग नीतियों की व्याख्या, सिंगल यूज उत्पाद जो कि बाजार में उपयोग में लिये जा रहे है, उनके खिलाफ ठोस कार्यवाही नहीं होने पर भी चर्चा की गयी। वर्तमान में इस उद्योग से जुड़े व्यवसायियों द्वारा नये उद्यमियों को जोडऩे और प्रोत्साहित करने हेतु भी जानकारी दी गयी। इसमें वो व्यवासायी जो कि वर्तमान में प्लास्टिक उद्योग से जुड़े हुए हैं लेकिन उनके द्वारा बनाए जाने वाले उत्पाद बाजार में प्रतिबंधित है वे भी मशीनरी और प्लांट में मोडिफिकेशन के साथ कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स से जुड़ सकते हैं।
एसोसिएशन ऑफ कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स इन इंडिया (एसीपीआई) द्वारा नये उद्यमियों को जोडऩे के प्रोत्साहन के साथ एमएसएमई और स्टार्ट अप लेवल से कम पूंजी में इस उद्योग की शुरूआत हेतु सभी प्रकार की तकनीकी जानकारी और सहयोग का आव्हान किया गया।
एसीपीआई के प्रयासों और जागरूकता अभियानों के जरिए प्लास्टिक मुक्त भारत का सपना साकार किया जा सकता है। कम्पोस्टेबल उत्पादों का व्यापक उपयोग न केवल प्लास्टिक प्रदूषण को रोक सकता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को भी बढ़ावा दे सकता है। कम्पोस्टेबल उत्पादों की ओर बढऩा समय की मांग है। एसीपीआई की पहल और यह सम्मेलन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। सरकार, उद्योग और जनता के सहयोग से ही स्वच्छ और हरित भविष्य संभव है।

Related posts:

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का एक ओर कीर्तिमान लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ के नाम

महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन के 41वें सम्मान समारोह में डॉ. लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ ने किया 78 विद्यार्थियों ...

Covid vaccine fraud

जन्म जयन्ति पर ट्री गार्ड सहित 108 औषधीय एवं फलदार वृक्षारोपण

प्रख्यात लोककलाविज्ञ और भारतीय लोक कला मंडल के पूर्व निदेशक डा. महेंद्र भानावत का निधन

आईआईटी खड़गपुर के वार्षिक वैश्विक व्यापार मॉडल ‘एम्प्रेसारियो 2021’ का शुभारम्भ

शिक्षक और उसके पिता पर तलवार हमला, शिक्षक की मौके पर ही मृत्यु

एचडीएफसी बैंक का मुनाफा 18 प्रतिशत बढ़ा

भिवाड़ी के कुशाग्र फिजिक्स वाला के ऑनलाइन अध्ययन से बने सीए इंटर टॉपर

उदयपुर कलक्टर ने भारी वाहनों के शहर में प्रवेश के संबंध में जारी किये निर्देश

HDFC Bank, Apollo Hospitals join hands for quality healthcare

अब होगा त्योहार से पहले एक और धमाकेदार त्योहार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *